पाली,हरदोई: जून हर मौसम में जल से लबालब रहने वाले बहुउपयोगी परंपरा गत तालाब भू जल री-चार्ज के अलावा युवाओं में तैराकी का जून्नू होता था।विकास खण्ड भरखनी की 90 ग्राम पंचायतों मे छोटे बड़े क़रीब 300 परंपरा व गैर परंपरागत तालाबो की संख्या है जिनके रख रखाव और सौंदर्यीकरण पर लाखों करोड़ों खर्च करने के बाद भी तालाबों की दुर्दशा है।जल संरक्षण और निरंतर घट रहे वनीय क्षेत्रफल से मौसम आई आयी ,विषमता से सब भयावह संकेत दे रहे है।ल को देख कर रहतौरा निवासी सेवानिवृत्ति अध्यापक विजय शंकर पुरानी यादो को साझा करते हुए बताते है कि वैसे तो हमारे गांव में छोटे बड़े करीब पांच तालाब है जिसमे शिव मंदिर के पास बने गुरहा तालाब मे बारहमासी पर्याप्त पानी रहता था। गर्मी के मौसम में पशु पक्षियों की प्यास बुझाने से लेकर गाँव के नौजवान इसमें तैरना सीखते थे।खनिकलापुर निवासी पूर्व सैनिक रामशंकर अग्निहोत्री अपने बचपन के दिनो की याद करते हुए कहते है कि सुतिया ताल और बिहर नामक गाँव मे तीन परंपरागत तालाब मौजूद है। पहले अच्छी वर्षात होती थी जिससे गाँव के सभी तालाब हर मौसम में भरे रहते थे। जिनका पानी समस्त पशु पक्षियों की प्यास बुझाने के साथ खेती किसानी के काम मे भी लिया जाता था। गांव के युवा तालाबों में तैरना सीखते थे जिसे तैराकी के प्रति उनका रुझान बढ़ता था ।सुबह के समय तालाब के पास का नजारा प्रकृति सुंदरी का एक अद्भुत नजारा होता था जो अब सिर्फ यादों तक सिमट कर रह गया है।
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